Uttrakhand chamoli flood feb- 2021
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार (7 Feb) सुबह ग्लेशियर टूटने से बारी तबाही मच गई । नंदादेवी बायोस्फियर छेत्र में आई इस आपदा से ऋषिगंगा पर बने करीब 13 मेगावाट के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और धौलीगंगा पर बने 520 मेगावाट के तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया ।
जून 2013 में आई केदारनाथ आपदा के जख्म अभी ठीक तरीके से भरे भी नहीं थे कि पहाड़ एक बार फिर सहम गया ।
2013 में आई आपदा में कुछ इस तरह मंजर रहा।
16 जून, 2013 केदारनाथ में आई थी आपदा
4700 से ज्यादा लोगो की गई थी जान
3200 से ज्यादा लोग हो गए थे लापता
699 लोगो के अबतक मिल चुके है कंकाल
अब न्यूज चैनल बता रहे है कि 37 साल पहले से ही मिलने लगे थे तबाही के संकेत । अब सवाल ये है कि जब पहले से पता था तो फिर वहा प्रोजेक्ट पे काम क्यों चल रहा था जानते हुए लोगों को मौत के मुंह में क्यों झोका गया
खैर मैं मीडिया की बात नहीं करना चाहता क्युकी वो सच छोड़ कर सब कुछ दिखाते है और ना ही मेरी मीडिया से कोई आपसी रंजिश है जो में उनका विरोध प्रकट करू।
जब भी प्रकृति के विरुद्ध अत्याचार ज्यादा होने लगता है और लोग भूल जाते है कि ये प्रक्रती उनकी अमानत है और उन्हें इसे सम्हाल कर रखना है तो इसी तरह वो अपना विराट और विकराल रूप दिखाती रहती हैं ।
ये हमारी सरकार को भी सोचना चाहिए और इसपर कड़े कदम उठाने चाहिए नहीं ये ऐसे ही हमसे ही रूठती रहेगी
जबतक हम प्रदूषण को नहीं रोकेंगे कुदरत इसी तरह समय समय पर अपना कहर बरपाती रहेगी और ये याद दिलाती रहेगी की अभी इंसान से भी बड़ी ताकत है जो अपने तान्दव से तबाही मचा सकती हैं और इंसान इसे चाह कर भी रोक नही सकता !
बड़े बड़े नेता, फिल्म स्टार, बड़े बिजनेस मैन आज ट्वीट कर रहे है
अपनी साहानभुति दे रहे है और मेरे हिसाब से ग्लोबल वार्मिंग में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले यही लोग है जो चंद पैसों की लालच में इस स्वर्ग जैसी धरती को नर्क बना रहे है ।
आज हम सब को इस घटना से एक सबक लेना चाहिए और प्रकृति से माफी मांगते हुए इसे दोबारा से जन्नत बनाने में अपना योगदान करना चाहिये ।
आज हम मां गंगा के एक छोर पर है।
लेकिन, जो मां गंगा के उद् गम स्थल है, वह उत्तराखंड इस समय एक आपदा का सामना कर रहा है वहा जो भी हुआ है, दुखद है वहां के लोगो के लिए में प्राथना करता हूं ।
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